मुगल कला भारतीय उपमहाद्वीप की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो मुगल साम्राज्य के दौरान विकसित हुई। इस कला में फारसी, तुर्की और भारतीय शैलियों का संगम देखा जाता है, जिससे एक अनूठी और समृद्ध कला परंपरा का जन्म हुआ।
मुगल चित्रकला:
मुगल चित्रकला में ईरानी शैली का प्रभाव निर्णायक ढंग से पड़ा, जिसके अंतर्गत चित्रकारों द्वारा राजदरबार के जीवन चरित्र, युद्ध के दृश्य, इत्यादि का चित्रण प्रमुख रूप से किया जाता था। इसके अलावा फूल-पौधे और पशु-पक्षी, वेश-भूषा इत्यादि पर भी ईरानी प्रभाव स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि भारत में ईरानी चित्रकला शैली का प्रभाव सल्तनत काल में भी स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है, जिसका विकसित रूप मुगल काल में देखने को मिला।

मुगल स्थापत्य कला:
मुगल स्थापत्य कला हिंदू और तुर्क-ईरानी प्रभावों के साथ सजावटी डिजाइनों के संयोजन पर आधारित है। मुगल शैली के प्रभाव विभिन्न प्रांतीय और स्थानीय महलों और किलों में दिखाई देते हैं। मुगलों ने शानदार किले, महल, सार्वजनिक भवन और मस्जिद आदि का निर्माण कराया। उन्होंने बहते हुए जल की नालियों वाले कई उद्यान भी बनवाए।
मुगल साहित्य:
मुगल काल में साहित्य की प्रगति हेतु भी पर्याप्त कार्य किए गए। हुमायूँ ने ‘दीन-ए-पनाह’ नामक पुस्तकालय की स्थापना की। वह विद्वानों तथा साहित्यकारों का आश्रयदाता था और उनको आदर तथा श्रद्धा की दृष्टि से देखता था। उसके काल के प्रसिद्ध विद्वानों में मिर्जा हैदर ने ‘तारीख-ए-रसीदी’, जौहर ने ‘तजकिरात-उल-वाकियात’ और सरहिन्दी नूरुल हक ने ‘जुब्दतुल तवारीख’ बहुत महत्वपूर्ण रचनाएँ की।

मुगल कला के प्रमुख उदाहरण:
- ताज महल: शाहजहाँ द्वारा मुमताज़ महल की याद में बनवाया गया यह मकबरा सफेद संगमरवर से बना है और मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
- लाल किला: दिल्ली में स्थित यह किला लाल बलुआ पत्थर से बना है और मुगल स्थापत्य कला का प्रमुख उदाहरण है।
- फतेहपुर सीकरी: अकबर द्वारा बनवाया गया यह शहर मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है, जिसमें हिंदू और मुस्लिम शैलियों का संगम देखा जाता है।
मुगल कला ने भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया और आज भी यह हमारे इतिहास और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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